क्राइम जर्नलिस्ट(सम्पादक-सेराज खान)
एडीजे के वेतन खाते से पत्नी को गुजारा भत्ता देने का हाईकोर्ट ने दिया आदेश
सोनभद्र की रहने वाली है पत्नी, अदालत ने की सख्त टिप्पणी
प्रयागराज।(ब्यूरो-एड0दीपमाला)गुजारा भत्ता के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने वाली एटा अपर जिला जज (एडीजे) की पत्नी को बड़ी राहत मिली है। 2013 से चल रहे मामले में हाईकोर्ट ने कहा कि याची अर्जी की तिथि से पति के वेतन खाते से हर माह 20 हजार रुपये गुजारा भत्ता पाने की हकदार हैं। यह राशि 17 अगस्त 2019 से बढ़कर 30 हजार रुपये हो जायेगी। कोर्ट ने प्रधान न्यायाधीश सोनभद्र को छह माह में बकाया भत्ते का भुगतान सुनिश्चित कराने का आदेश दिया है। साथ ही कहा कि गुजारा भत्ते के लिए पत्नी को कानूनी लड़ाई में उलझाने वाला कानून का जानकार पति रहम का हकदार नहीं है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट में सोनभद्र निवासी शबाना बानो की ओर से दायर याचिका पर न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर की अदालत ने सुनवाई की। कोर्ट ने कहा कि एक जज जिसे पत्नी के कानूनी अधिकारों की जानकारी होती है, उसने आदेश के बावजूद गुजारा भत्ता न देकर पत्नी को 12 साल तक कानूनी लड़ाई में उलझाए रखा। यह कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग ‘है। पत्नी को कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए मजबूर कर न्याय में देरी की गई।
याची के अधिवक्ता की दलील थी कि पीड़िता का
कहा- पत्नी को कानूनी लड़ाई में उलझाने वाला कानून का जानकार पति रहम का हकदार नहीं
निकाह चार मई 2002 को हुआ था। शादी के वक्त पति सिविल जज थे। शादी में पीड़िता के परिजनों ने 30 लाख खर्च किया था। इंडिका कार भी दी थी। इसके बाद 20 लाख रुपये अतिरिक्त मांगे गए।
दोनों से चार बच्चे हैं जो पति के साथ हैं। विवाद के बाद 18 नवंबर 2013 को पति ने पीड़िता को घर से निकाल दिया और दो दिसंबर 2013 को तलाकनामा भेज दिया। इसके बाद पत्नी ने गुजारा भत्ते की मांग करते हुए सोनभद्र की पारिवारिक अदालत में अर्जी दाखिल की थी। कोर्ट ने पाया कि 15 जनवरी 14 से मामले में 64 बार सुनवाई की तारीख लगी, 35 बार सुनवाई टलवाई। अंतरिम भत्ता अर्जी पर 47 तारीख लगी। मामला मध्यस्थता केन्द्र भी पहुंचा।
पूरी कार्यवाही में पति हाजिर हुए न गुजारा भत्ते का भुगतान किया। हाईकोर्ट ने तारीख पे तारीख की प्रवृत्ति को लेकर पारिवारिक न्यायालय को भी फटकार लगाई है। साथ ही याची को 50 हजार रुपये वाद खर्च भुगतान का भी आदेश दिया है। संवाद