Crime Journalist (सम्पादक – सेराज खान)

ब्यूरो चीफ सुल्तानपुर-आकृति अग्रहरि

कादीपुर पुलिस का क्रूर चेहरा ! निर्दोष भाइयों पर फर्जी मुकदमा, एनकाउंटर की साजिश!

सीसीटीवी ने खोली पुलिस की पोल: फर्जी फायरिंग की कहानी, सच या साजिश?

कादीपुर में पुलिस की शर्मनाक करतूत: खुद बनाया वादी, भाइयों को फंसाने की साजिश!

सुल्तानपुर पुलिस का काला सच: फर्जी एनकाउंटर की तैयारी में निर्दोषों का शिकार!

क्या है कादीपुर पुलिस की मजबूरी? निर्दोषों पर फर्जी मुकदमा, खौफनाक साजिश!

कादीपुर पुलिस की क्रूर साजिश, निर्दोष भाइयों पर फर्जी मुकदमा और एनकाउंटर की तैयारी!

सुल्तानपुर।उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले के कादीपुर थाने की पुलिस ने एक ऐसी सनसनीखेज साजिश रची है, जिसने कानून-व्यवस्था के रखवालों के चेहरे से नकाब उतार दिया है। दो सगे भाइयों, धीरेन्द्र विक्रम सिंह और आनंद सिंह रंजन, को फर्जी मुकदमे में फंसाने और उनके खिलाफ कथित फर्जी एनकाउंटर की साजिश रचने का मामला सामने आया है। मुकदमा संख्या 325/2025 के तहत दर्ज इस घटना ने पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। सीसीटीवी फुटेज ने पुलिस की पूरी थ्योरी को झूठा साबित कर दिया है, जिसमें यह साफ हो गया कि जिस समय पुलिस ने फायरिंग की घटना का दावा किया, उस समय मुख्य अभियुक्त आनंद सिंह रंजन घटनास्थल से 3 किलोमीटर दूर अपने घर पर मौजूद थे। यह खुलासा न केवल पुलिस की मंशा पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी पूछता है कि आखिर इतना शातिर दिमाग किसका है, जो निर्दोषों को फंसाने के लिए इस तरह की खौफनाक साजिश रच रहा है?

17 जून 2025 की रात 8 बजे, कादीपुर पुलिस ने दावा किया कि धीरेन्द्र विक्रम सिंहऔर आनंद सिंह रंजन ने पुलिस पर तीन राउंड फायरिंग की। लेकिन हैरानी की बात यह है कि पूरे गांव में न तो किसी ने गोली चलने की आवाज सुनी और न ही किसी ने इस कथित घटना को देखा। यह सवाल उठता है कि अगर घटना ही नहीं हुई, तो पुलिस ने यह फर्जी कहानी क्यों गढ़ी? सीसीटीवी फुटेज ने पुलिस के दावों की पोल खोल दी, जिसमें साफ दिख रहा है कि आनंद रंजन उस समय अपने घर पर थे। क्या पुलिस ने कोई सलमान खान की फिल्म ‘करण अर्जुन’ या ‘जुड़वा’ से प्रेरित होकर यह कहानी बनाई? क्या कोई हमशक्ल या जुड़वां भाई इस घटना को अंजाम दे रहा था, या फिर पुलिस ने खुद ही एक काल्पनिक किरदार गढ़ लिया?

इस मामले में एक ऑडियो रिकॉर्डिंग ने सनसनी मचा दी है, जिसमें दारोगा राज नारायण यादव की आवाज साफ सुनाई दे रही है। इस ऑडियो में उनकी मजबूरी और दबाव की बात सामने आ रही है। सवाल यह है कि आखिर दारोगा को इस साजिश में शामिल होने के लिए किसने मजबूर किया? क्या यह जिले के पुलिस कप्तान कुँवर अनुपम सिंह की शह पर हो रहा है, या फिर इसके पीछे कोई और बड़ा चेहरा है? यह ऑडियो पुलिस की साजिश का एक और सबूत है, जो यह साबित करता है कि यह पूरा मामला रंजिश और सत्ता के दुरुपयोग का नतीजा है।

कादीपुर पुलिस की यह करतूत पहली बार सामने नहीं आई है। सुल्तानपुर में पहले भी कई बार फर्जी एनकाउंटर और मुकदमों की खबरें सुर्खियां बटोर चुकी हैं। लेकिन इस बार मामला और गंभीर है, क्योंकि पुलिस ने खुद को ही वादी बनाकर यह फर्जी कहानी रची है। यह सवाल उठता है कि क्या कानून के रखवाले अब खुद कानून को ताक पर रखकर निर्दोषों को फंसाने का खेल खेल रहे हैं? आनंद सिंह रंजन और धीरेन्द्र विक्रम सिंह के परिवार का कहना है कि उनके बच्चों को निजी रंजिश के चलते फंसाया जा रहा है। परिवार का आरोप है कि पुलिस ने बिना किसी सबूत के उनके बच्चों को अपराधी घोषित कर दिया और अब उनकी जान को खतरा है।

सीसीटीवी फुटेज इस मामले में सबसे बड़ा सबूत बनकर सामने आया है। फुटेज में साफ दिख रहा है कि जिस समय पुलिस ने फायरिंग का दावा किया, उस समय आनंद सिंह रंजन अपने घर पर थे। यह फुटेज न केवल पुलिस की कहानी को झूठा साबित करता है, बल्कि यह भी सवाल उठाता है कि आखिर पुलिस ने यह फर्जी मुकदमा क्यों दर्ज किया? क्या यह किसी बड़े अधिकारी की साजिश है, या फिर स्थानीय स्तर पर कोई रंजिश इसकी वजह है? परिवार का कहना है कि पुलिस ने पहले भी कई बार उनके बच्चों को परेशान किया है, और अब यह फर्जी मुकदमा और एनकाउंटर की धमकी उनकी जिंदगी को खतरे में डाल रही है।

इस मामले ने स्थानीय लोगों में गुस्सा और डर दोनों पैदा कर दिया है। गांव वालों का कहना है कि अगर पुलिस ही इस तरह की साजिश रचेगी, तो आम आदमी का भरोसा कानून-व्यवस्था पर कैसे रहेगा? यह घटना न केवल कादीपुर पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाती है, बल्कि पूरे सुल्तानपुर जिले की पुलिस व्यवस्था को कटघरे में खड़ा करती है। क्या पुलिस कप्तान कुँवर अनुपम सिंह इस मामले की निष्पक्ष जांच करवाएंगे, या फिर यह साजिश और गहरी होगी?

इस पूरे प्रकरण में सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर पुलिस को निर्दोष भाइयों को फंसाने की क्या जरूरत पड़ी? क्या यह किसी बड़े सियासी दबाव का नतीजा है, या फिर कोई निजी रंजिश इसकी जड़ में है? दारोगा राज नारायण यादव का ऑडियो इस बात की तस्दीक करता है कि पुलिस के अंदर ही कुछ लोग इस साजिश को अंजाम दे रहे हैं। लेकिन सवाल यह है कि इस साजिश का मास्टरमाइंड कौन है? क्या यह केवल एक थाने की साजिश है, या फिर इसके तार ऊपर तक जुड़े हैं?

यह मामला न केवल कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी बताता है कि कैसे पुलिस अपनी शक्ति का दुरुपयोग कर निर्दोषों को निशाना बना सकती है। आनंद सिंह रंजन और धीरेन्द्र विक्रम सिंह जैसे निर्दोष युवाओं का भविष्य खतरे में है, और उनके परिवार का हर दिन डर में बीत रहा है। इस घटना ने सुल्तानपुर की जनता में खौफ पैदा कर दिया है। लोग अब यह सवाल पूछ रहे हैं कि अगर पुलिस ही अपराधी बन जाए, तो फिर न्याय की उम्मीद किससे की जाए?

यह सनसनीखेज खुलासा अब सोशल मीडिया और स्थानीय स्तर पर चर्चा का विषय बन चुका है। लोग इस मामले में निष्पक्ष जांच और दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। अगर इस मामले की निष्पक्ष जांच नहीं हुई, तो यह न केवल कादीपुर पुलिस की साख पर बट्टा लगाएगा, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश की पुलिस व्यवस्था पर सवाल खड़े करेगा।

टाइटल – कादीपुर पुलिस की क्रूर साजिश! निर्दोष भाइयों पर फर्जी मुकदमा, एनकाउंटर की तैयारी | CCTV खोलेगा राज!

थंबनेल –
“फर्जी एनकाउंटर की साजिश!”, “पुलिस की पोल खुली!”, “निर्दोष भाइयों पर खतरा!”

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