क्राइम जर्नलिस्ट(सम्पादक-सेराज खान)

जिला मुख्यालय संवाददाता-एड0 राजेश पाठक

5 वर्ष पूर्व हिरोइन मामले में महफूज खान दोष मुक्त किए गए

सोनभद्र-5 वर्ष पूर्व के मामले में महफूज खान पुत्र स्वर्गीय महमूद खान दोष मुक्त किए गए स्पेशल एसटीएसटी/ एनडीपीएस कोर्ट सोनभद्र के जज आबिद शमीम ने अधिवक्ता शादाब आलम की दलीलों को सुनकर उक्त मामले में जो महफूज खान को एनडीपीएस की धारा 8/21 में बरी कर दिया उक्त अपराध थाना दुद्धी में पंजीकृत किया गया था जिसकी परीक्षण संख्या 26 सन् 2019 अपराध संख्या 94 सन 2018 थी।

न्यायालय आदेश-

1.

प्रस्तुत विशेष सत्र परीक्षण वाद, पुलिस थाना दुद्धी, जनपद सोनभद्र के द्वारा अभियुक्त महफूज खां के विरुद्ध मु0अ0सं0-94 सन् 2018, धारा-8/ 21 एन०डी०पी०एस० एक्ट के अन्तर्गत प्रेषित आरोप पत्र संख्या-89/2018 जिस पर तत्कालीन विद्वान पीठासीन अधिकारी द्वारा दिनांक 28.02.2019 को प्रसंज्ञान लिया गया है, के आधार पर संस्थित हुआ है।

2.

प्रस्तुत प्रकरण के तथ्य इस प्रकार हैं कि दिनांक 02.11.2018 को थाना दुद्धी, जनपद सोनभद्र के उप निरीक्षम राम वचन यादव अपने अन्य हमराहियान पुलिस बल के साथ क्षेत्र के देखभाल व शान्ति व्यवस्था हेतु कस्बा दुद्धी में बस स्टैण्ड के पारा गौजूद थे कि जरिए मुखबिर उन्हें सूचना मिली कि दो व्यक्ति धनौरा सब्जी मण्डी के आगे रीना देवी के धर के सागने हिरोइन की खेप लेकर आये हैं तथा उसे बेचने के फिराक में हैं, अगर जल्दी किया जाय तो पकडे जा सकते हैं। मुखबिर की उक्त सूचना पर विश्वास करके पुलिस बल आपस में एक दूसरे की तलाशी लेने व देने के उपरान्त धनौरा सब्जी गण्डी ग्योरपुर रोड के सामने रीना देवी के घर के पास पहुंचे तो देखे कि रीना देवी के घर के सामने खड़े दो व्यक्ति दिखाई दिये कि एक बारगी मौके पर पहुंचे कि पुलिस बल को देखकर दोनों व्यक्ति ग्योरपुर की ओर सड़क पकड़ कर भागने लगे कि 50-60 कदम जाते-जाते गुगटी के आगे बिजली के पोल के पास पकड़ लिये गये। पकड़े गये व्यक्तियों का नाम पत्ता पूछते हुए उनकी जागा तलाशी ली गयी तो बताये कि उनके पास हिरोइन है। तब उन्हें बताया गया कि आप लोगों के पास मादक पदार्थ है जिसकी जागा तलाशी राजपत्रित अधिकारी अथवा गजिस्ट्रेट के समक्ष होगी तो उनके द्वारा बताया गया कि साहब जब आप लोगों ने पकड ही लिया है तो आप लोग ही हम लोगों की जागा तलाशी ले लीजिए, हमें किसी के पास नहीं जाना है किन्तु

फिर भी मेरे द्वारा मजिस्ट्रेट अथवा राज पत्रित पुलिस अधिकारी से सम्पर्क करने का प्रयास किया गया किन्तु उपलब्ध नहीं हो सके, वहालात मजबूरी पकडे गये व्यक्तियों से सहमति पत्र लेने के बाद नाम पत्ता पूछते हुए बारी-बारी जागा तलाशी ली गयी तो एक ने अपना नाम जोसवा बेन्जामिन उर्फ शनि पुत्र स्व० शैलेश वेन्जामिन बताया। उसके पहने हुए जीन्स के पैण्ट के दाहिने जेब से सफेद पन्नी का पैकेट मिला तथा दूसरे ने अपना नाग महफूज खां पुत्र महमूद खां बताया, उसके पहने हुए लोवर के दाहिने जेब से एक पन्नी का पैकेट गिला जिसे अपने पास रखे यांत्रिक तराजू से तौला गया तो उसका वजन कमशः 9 ग्राम व 8 ग्राग पाया गया। बरामद गाल में से एक-एक ग्राम हिरोइन निकाल कर नमूना गाल अलग-अलग एक सफेद पन्नियों में रखकर व शेष सम्पूर्ण माल को अलग-अलग कमशः रखकर पन्नी सहित सफेद कपड़ों में रखकर सील कर सर्व मुहर कर नमूना मुहर तैयार किया गया। मौके पर जनता के काफी लोग एकत्रित हैं जिनसे गवाही के लिए कहा गया तो बुराई के डर से वहां से हट बढ़ गये तब गिरफ्तारशुदा दोनों व्यक्तियों को जुर्म धारा-8/21 एन०डी०पी०एस० एक्ट का बोध कराते हुए समय करीब 21:10 बजे हिरासत पुलिस में लिया गया। अभियुक्तगण की गिरफ्तारी एवं बरामदगी के समय माननीय सर्वोच्च न्यायालय तथा मानवाधिकार आयोग के दिशा निर्देशों का पालन किया गया तथा फर्द गोटर साइकिलों एवं टार्च की रोशनी में लिया गया तथा अन्य प्रपत्र भी तैयार किया गया। फर्द की नकल अभियुक्तगणों को प्रदान की गयी।

3.

फर्द बरामदगी के आधार पर थाना दुद्धी, जनपद सोनभद्र में दिनांक 02.11. 2018 को समय 22:45 बजे मु0अ0सं0-94 सन् 2018 पर अभियुक्त महफूज खां के विरूद्ध धारा-8/21 एन०डी०पी०एस० एक्ट के अन्तर्गत अभियोग पंजीकृत कराया गया तथा अभियुक्त जोशवा बेन्जामिन के विरूद्ध पृथक से अभियोग पंजीकृत किया गया।

4. प्रकरण की विवेचना पुलिस थाना दुद्धी, जनपद सोनभद्र द्वारा प्रारम्भ की गयी तथा विवेचनोपरान्त अभियुक्त महफूज खां के विरूद्ध धारा-8/21 एन०डी० पी०एस० एक्ट के अन्तर्गत आरोप पत्र प्रेषित किया गया।

5. अभियुक्त महफूज खां की उपस्थिति पर दिनांक 29.03.2019 को उसके विरूद्ध धारा-8/21 एन०डी०पी०एस० एक्ट के अन्तर्गत आरोप आरोप विरचित किया गया। अभियुक्त ने आरोप से इन्कार किया तथा परीक्षण की मांग की।

6. अभियुक्त के विरूद्ध लगाये गये आरोप को साबित करने के लिए अभियोजन की ओर से मात्र एक साक्षी पी०डब्लू०-1 उप निरीक्षक राग बचन यादव (वादी गुकदगा) को पेश किया गया। अभियुक्त के विद्वान अधिवक्ता द्वारा अन्य अभियोजन प्रपत्रों की प्रगाणिकता स्वीकार किए जाने की दशा में अभियोजन साक्ष्य समाप्त किया गया।

7. अभियोजन साक्ष्य की समाप्ति पर अभियुक्त का बयान अन्तर्गत्त धारा-313 दं०प्र०सं० अंकित किया गया। अभियुक्त ने अपने बयान अन्तर्गत धारा-313 दं०प्र०सं० गे अभियोजन कथानक को गलत बताया तथा अभियोजन साक्षी द्वारा झूठा बयान दिया जाना

* तथा मुकदमा झूठा चलना बताया। अभियुक्त के द्वारा यह भी कहा गया कि गलत विवेचना करके आरोप पत्र प्रेषित किया गया है। अभियुक्त के द्वारा यह भी कहा गया है कि वह निर्दोष है, उसके पास से कोई बरामदगी नहीं है। सफाई साक्ष्य देने से इन्कार किया गया।

8. मेरे द्वारा विद्वान लोक अभियोजक तथा अभियुक्त के विद्वान अधिवक्ता के तर्को को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त गौखिक एवं दस्तावेजी साक्ष्यों का अवलोकन एवं परिशीलन किया गया।

3

9. प्रस्तुत प्रकरण में न्यायालय को यह विनिश्चय किया जाना है कि क्या दिनांव 02.11.2018 को समय 09:10 बजे रात्रि बहद स्थान ग्राम डुमरडीहा, थाना दुद्धी, जनपद सोनभद्र में पुलिस बल द्वारा अभियुक्त महफूज खां के कब्जे से 08 ग्राम हिरोइन बरागद किया गया जिसको रखने व बेचने के सम्बन्ध में अभियुक्त द्वारा कोई वैध प्रपत्र प्रस्तुत नहीं किया जा सका?

10. पी०डब्लू०-1 उप निरीक्षक राम बचन यादव (वादी मुकदमा) ने अपनी गुख्य परीक्षा में अभियोजन कथानक का समर्थन करते हुए यह कथन किया है कि, “घटना दिनांक 02.11.2018 की है। मैं घटना के सामय दुद्धी थाने पर उप निरीक्षक के पद पर कार्यरत था। दिनांक 21.11.2018 को मैं अपने हमराहीगण के साथ उप निरीक्षक राम विलास, हेड कां० राजेन्द्र प्रसाद सोनकर, कां० सन्तोष कुमार यादव के साथ शान्ति व्यवस्था के लिए गश्त कर दुद्धी में था कि मुखबिर खास से सूचना प्राप्त हुआ कि दो व्यक्ति धनवरा सब्जी मण्डी के आगे रीना देवी के घर के सामने हिरोइन लेकर आये हैं तथा उसको बेचने के फिराक में है। मुखबिर की सूचना पर विश्वास करके हमराहीगण को अवगत कराते हुए गवाही के लिए तलाश की गयी तो जनता के गवाह तैयार नहीं हुए। मुखबिर को साथ लेकर धनवरा सब्जी मण्डी म्योरपुर रोड के सामने अपने-अपने मोटर साइकिल से आगे बढ़े कि कुछ दूर पहले मुखबिर दो व्यक्ति की ओर इशारा करके मुखबिर वहां से चला गया। मौके पर पहुंचे कि हम पुलिस वालों को देखकर दोनों व्यक्ति भागने लगे। हम पुलिस वाले अपनी-अपनी गाडी से उतर कर 50-60 कदम जाते-जाते गुगटी के आगे बिजली के पोल के पास पकड लिया। पकड़े गये व्यक्ति का नाम पता पूछते हुए भागने का कारण को पूछा गया तो एक ने अपना नाम जोसवा बेन्जामिन पुत्र स्व० शैलेश बेन्जामिन निवासी वार्ड संख्या-11 थाना दुद्धी, जनपद सोनभद्र बताया। दूसरे ने अपना नाम अफरोज खान पुत्र महमूद खां निवासी वार्ड संख्या 5 थाना दुद्धी, जनपद सोनभद्र बताया। भागने का कारण अपने पास नाजायज हिरोइन बताया। इस बात पर विश्वास करके एन०डी०पी०एस० एक्ट के प्राविधानों के अनुसार पकड़े गये व्यक्तियों की जागा तलाशी किसी राजपत्रित अधिकारी या मजिस्ट्रेट के समक्ष होगी। पकड़े गये दोनों व्यक्तियों ने कहीं जाने से इन्कार करते हुए अपना जामा तलाशी के लिए आग्रह किया कि हम लोगों की जागा तलाशी आप लोग ही ले लें। इसके उपरान्त सहमति पत्र गांगा गया तो पकड़े गये व्यक्तियों ने मुझ उप निरीक्षक से तैयार करने को सहमति दी। मैं गौके पर सहमति पत्र लिखकर पढ़कर सुनाकर अभियुक्तगण के हस्ताक्षर बनवाकर हंग पुलिरा वाले

एक दूसरे की जामा तलाशी ले देकर इत्मीनान होने पर कि हम लोगों के पास कोई नाजाय वस्तु नहीं है। पकड़े गये व्यक्ति जोरावा बेंजामिन की जागा तलाशी ली गयी तो पहने हुए जीन्स के पैंट के दाहिने जेब से सफेद पन्नी का पैकेट गिला।” आगे यह भी कथन किया गया कि, “अपने पारा रखे यांत्रिक तराजू से बारी-बारी तौला गया तो पहले के पास से बरागद हिरोइन का कुल वनज 09 ग्राम तथा दूसरे व्यक्ति महफूज के पास से 08 ग्राग हिरोइन पाया गया। बरामद गाल से एक-एक ग्राम हिरोइन निकाल कर अलग अलग एक सफेद पन्नी में रखकर व शेष सम्पूर्ण माल को अलग-अलग पन्नी सहित सफेद कपडे में रखकर सिलकर नमूना मुहर तैयार किया गया। यह अपराध एन०डी०पी०एस० की धारा-8/21 बताकर समय करीब 21:10 बजे हिरासत में लिया गया।” इस साक्षी ने सहमति पत्र को प्रदर्श क-1 एवं गिरफ्तारी प्रपत्र को प्रदर्श क-2 तथा फर्द बरामदगी को प्रदर्श क-3 के रूप में साबित किया है।

11. उपरोक्त वर्णित साक्ष्य के महत्व व उसकी प्रासंगिता को रेखांकित करते हुए अभियोजन पक्ष की ओर से विद्वान लोक अभियोजक द्वारा तर्क प्रस्तुत किया गया कि कथित घटना के दिनांक, समय व स्थान पर अभियुक्त के कब्जे से पुलिस द्वारा 08 ग्राम अवैध हिरोइन बरामद किया गया है। विवेचक द्वारा विवेचना की समस्त औपचारिकता पूर्ण करते हुए तथा अभियुक्त के विरूद्ध पर्याप्त साक्ष्य पाये जाने पर उसके विरूद्ध आरोप पत्र प्रेषित किया गया है। अभियोजन की ओर से परीक्षित साक्षी पी०डब्लू0-1 ने अभियोजन कथानक का पूर्ण समर्थन किया है। अभियुक्त के विरूद्ध लगाये गये आरोप संदेह से परे सिद्ध है. अतएव अभियुक्त लगाये गये आरोप में दोषसिद्ध किए जाने योग्य है।

12.

अभियोजन पक्ष के तर्कों का खण्डन करते हुए बचाव पक्ष की ओर से विद्वान

अधिवक्ता द्वारा तर्क प्रस्तुत किया गया कि अभियुक्त को झूठा फंसाया गया है उसके कब्जे से

कोई मादक पदार्थ बरामद नहीं किया गया है। अभियोजन के द्वारा विवेचक को परीक्षित नहीं

कराया गया है। अभियुक्त से मात्र सादे पन्ने पर हस्ताक्षर बनवाकर सहमति पत्र असत्य

कथनों पर तैयार किया गया है। अभियोजन के द्वारा धारा-50, 52ए एवं

धारा-57 एन०डी०पी०एस० एक्ट के प्रावधान का अनुपालन नहीं किया गया है। विधि विज्ञान

प्रयोगशाला की रिपोर्ट भी संदिग्ध है। अभियुक्त निर्दोष है, उसे दोषमुक्त किया जावे।

4

13. उभय पक्ष की ओर से रखे गये परस्पर विरोधाभासी तर्कों के परिप्रेक्ष्य में अभियोजन साक्ष्य की समीक्षा एवं उसका मूल्यांकन निर्णय के अग्रेतर अंशों में किया जायेगा।

14. प्रस्तुत प्रकरण में फर्द बरामदगी प्रदर्श क-3 में अभियुक्त के कब्जे से 08 ग्राग हिरोइन बरामद किए जाने का उल्लेख किया गया है तथा पी०डब्लू०-1 वादी गुकदमा के द्वारा भी अपने बयान के माध्यम से अभियुक्त के कब्जे से 09 ग्राम अवैध हिरोइन बरामद किए जाने का कथन किया गया है।

15. उल्लेखनीय है कि किसी भी व्यक्ति के कब्जे से यदि कोई मादक पदार्थ की बरामदगी की जाती है तो सर्वप्रथम उस व्यक्ति को धारा-50 एन०डी०पी०एस० एक्ट के

सभी

– राज्य सरकार बनाम. महफूज खान एस

प्रावधान के अनुसार उसके अधिकार के बारे में बताया जायेगा कि उसका यह अधिकार है कि वह अपनी जागा तलाशी किसी राजपत्रित अधिकारी या निकटतग मजिस्ट्रेट के समक्ष करा सकता है, परन्तु प्रस्तुत प्रकरण में फर्द बरामदगी प्रदर्श क-3 में अभियुक्त को उसके अधिकार के बारे में बताये जाने का कोई उल्लेख नहीं है अपितू प्रदर्श क-3 में यह उल्लिखित किया गया है कि, “पकड़े गये व्यक्तियों का नाम पता पूछते हुए उनकी जागा तलाशी ली गयी तो बताये कि उनके पास हिरोइन है। तब उन्हें बताया गया कि आप लोगों के पास मादक पदार्थ है जिसकी जामा तलाशी राजपत्रित अधिकारी अथवा मजिस्ट्रेट के समक्ष होगी तो उनके द्वारा बताया गया कि साहब जब आप लोगों ने पकड ही लिया है तो आप लोग ही हम लोगों की जामा तलाशी ले लीजिए, हमें किसी के पास नहीं जाना है किन्तु फिर भी मेरे द्वारा मजिस्ट्रेट अथवा राज पत्रित पुलिस अधिकारी से सम्पर्क करने का प्रयास किया गया किन्तु उपलब्ध नहीं हो सके, वहालात मजबूरी पकड़े गये व्यक्तियों से सहमति पत्र लेने के बाद नाम पता पूछते हुए बारी-बारी जामा तलाशी ली गयी।”

16. बतौर पी०डब्लू0-1 वादी मुकदमा के द्वारा भी अपने बयान में अभियुक्त के अधिकार के सम्बन्ध में कोई बयान नहीं किया है बल्कि उसके द्वारा अपने बयान में यह कहा गया है कि, “भागने का कारण अपने पास नाजायज हिरोइन बताया। इस बात पर विश्वास करके एन०डी०पी०एस० एक्ट के प्राविधानों के अनुसार पकड़े गये व्यक्तियों की जागा तलाशी किसी राजपत्रित अधिकारी या मजिस्ट्रेट के समक्ष होगी।” दौरान जिरह पी०डब्लू०-1 द्वारा यह स्वीकार किया गया है कि, “सी०ओ० साहब के अतिरिक्त मैंने जागा तलाशी हेतु किसी अन्य राजपत्रित अधिकारी से सम्पर्क नहीं किया था।” रपष्ट है कि अभियुक्त की गिरफ्‌तारी के समय उसको उसके अधिकार के बारे में नहीं बताया गया। इस प्रकार यह साबित होता है कि अभियोजन के द्वारा धारा 50 ए१०डी०पी०एस० एक्ट के अज्ञापक प्रावधानों का अनुपालन नहीं किया गया है।

माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा सम्मानित विधि व्यवस्थाओं संजू बनाम स्टेट ऑफ यू०पी० (2009) 13 एस०सी०सी० 698 एवं सुरेन्द्र कुमार बनाम स्टेट ऑफ पंजाब (2020) 2 एस०सी०सी०सी० 563 एवं माननीय उच्च न्यायालय, इलाहाबाद द्वारा सम्मानित विधि व्यवस्था-टी०बी० एन्थोनी बनाम यूनियन ऑफ इण्डिया [2008 (2) ल.सीआर.र. 263] में यह प्रावधानित किया गया है कि यदि किसी व्यक्ति के कब्जे से कोई मादक पदार्थ बरामद किय जाता है तो अभियोजन का यह दायित्व होता है कि वह धारा 50 एन०डी०पी०एस० एक्ट के अज्ञापक प्रावधानों का अनुपालन सुनिश्चित करते हुए अभियुक्त की जामा तलाशी किसी राजपत्रित अधिकारी के समक्ष की जायेगी तथा उसको उसके इस अधिकार के बारे में बताया जायेगा, परन्तु प्रस्तुत प्रकरण में अभियोजन द्वारा ऐसा धारा-50 एन०डी०पी०एस० एक्ट के प्रावधानों का अनुपालन नहीं किया गया है। करके ۱۰

17.

18. उल्लेखनीय है कि किसी भी व्यक्ति के कब्जे से यदि कोई मादक पदार्थ की बरामदगी की जानी सम्भाव्य होती है तो धारा-42 एन०डी०पी०एस० एक्ट के प्राविधान के

5अल अनुसार अभियुक्त की गिरफ्‌तारी से पूर्व गिरफ्‌तार करने वाले पुलिस कर्मी का यह दायित्व होता है कि वह अपने हस्तलेख में लिखित रूप से सम्बन्धित राज पत्रित अधिकारी अथवा गजिस्ट्रेट को सूचना देगा, परन्तु फर्द प्रदर्श क-3 के अवलोकन से स्पष्ट है कि अभियुक्त को गिरफ्‌तार करने वाले उप निरीक्षक के द्वारा किसी राज पत्रित अधिकारी अथवा मजिस्ट्रेट को कोई लिखित सूचना नहीं दी गयी। इस प्रकार यह साबित होता है कि अभियोजन के द्वारा धारा – 42 एन०डी० पी०एस० एक्ट के प्राविधान का अनुपालन नहीं किया गया है।

19.

धारा-57 एन०डी०पी०एस० एक्ट में यह प्रावधान दिया गया है कि जब कोई व्यक्ति इस अधिनियम के अधीन कोई गिरफ्तारी या अधिग्रहण करता है तो ऐसी गिरफ्तारी या अधिग्रहण के पश्चात अगले 48 घण्टों के अन्दर ऐसी गिरफ्‌तारी या अधिग्रहण की सभी विशिष्टयों की एक पूरी रिपोर्ट अपने उच्च अधिकारी के पास भेजेगा परन्तु पत्रावली पर ऐसी कोई रिपोर्ट संलग्न नहीं है। इस प्रकार यह साबित है कि अभियोजन के द्वारा धारा-57 एन०डी०पी०एस० एक्ट के प्रावधान का अनुपालन नहीं किया गया है।

20.

धारा-52ए एन०डी०पी०एस० एक्ट में यह प्रावधान दिया गया है कि जब किसी व्यक्ति के कब्जे से किसी मादक पदार्थ की बरामदगी की जाती है तो उस गादक पदार्थ की तौल अथवा वजन किसी राजपत्रित अधिकारी अथवा मजिस्ट्रेट के समक्ष की जायेगी परन्तु प्रदर्श क-3 के अवलोकन से स्पष्ट है कि अभियुक्त के कब्जे से की गयी बरामदगी का वजन अथवा तौल किसी मजिस्ट्रेट अथवा राजपत्रित अधिकारी के समक्ष नहीं की गयी है। इस प्रकार यह साबित है कि अभियोजन के द्वारा धारा-52ए एन०डी०पी०एस० एक्ट के प्रावधान का अनुपालन नहीं किया गया है।

21.

प्रदर्श क-3 में इस बात का उल्लेख किया गया है कि अभियुक्तगण के कब्जे से बरामद हिरोइन में से एक-एक ग्राम हिरोइन बतौर नमूना निकाल कर प्लास्टिक की पन्नी में रखकर सील कर नमूना मोहर तैयार किया गया परन्तु पत्रावली पर संलग्न विधि विज्ञान प्रयोगशाला की जांच रिपोर्ट कागज संख्या-24क/2 में “संदिग्ध हेरोइन, मात्रा 998 मिलीग्राम, छोटे पोलीथीन पैकेट में गय गत्ते का टुकडा” अंकित किया गया है जबकि प्रदर्श क 3 में गत्ते के टुकडे में नमूना रखने का कोई उल्लेख नहीं किया गया है बल्कि प्लास्टिक की सफेद पन्नी में रखने का उल्लेख किया गया है। इस प्रकार यह भी संदिग्ध प्रतीत होता है कि जो नमूना जांच हेतु भेजा गया था, क्या वह यही नमूना था जो अभियुक्त के कब्जे से बरामद हुआ था। यह भी उल्लेखनीय है कि मालखाना रजिस्टर भी न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया है। इस सम्बन्ध में अभियोजन के द्वारा कोई स्पष्टीकरण प्रस्तुत नहीं किया गया है।

प्लास्टिक की सफेद पन्नी में रखकर सर्व मुहर किया जाना बताया गया है परन्तु एफ०एस०एल० की जांच आख्या में नमूना का वजन 998 मिलीग्राम गत्ते के टुकड़े में पाये जाने का कथन किया गया है।

23.

संक्षेप में अभियोजन पक्ष द्वारा उपलब्ध कराया गया साक्ष्य अभियुक्त की दोषसिद्धि हेतु पर्याप्त, प्रासंगिक एवं विश्वसनीय नहीं पाया गया है। ऐसे में उपलब्ध साक्ष्य के आधार पर अंभियुक्त के विरूद्ध लगाये गये आरोप युक्ति-युक्त संदेह से परे साबित होना नहीं पाया जाता है और अभियुक्त लगाये गये आरोप से दोषमुक्त किए जाने योग्य है।

-: आदेश देना-

विशेष सत्र परीक्षण संख्या 26/2019 (एम/एस-94/2018) स्लीपिंग ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट की धारा-8/21 के तहत, थाना दुद्धी, जिला सोनभद्र 21 स्लीपिंग ड्रग्स एंड गन्स को प्रभावी पदार्थ अधिनियम से मुक्त किया गया है .

प्रस्तुत प्रकरण में अभियुक्त जमानत पर है, उसके जमानतनामे व बन्ध पत्र निरस्त किए जाते हैं तथा प्रतिभूओं को उनके दायित्वों से उन्मोचित किया जाता है।

प्रस्तुत प्रकरण में बरामदशुदा मादक पदार्थ हिरोइन बाद मियाद बीतने अपील अथवा, अपीलीय न्यायालय के निर्देशानुसार नियमानुसार विनष्ट किया जावे।

धारा-437ए दं०प्र०सं० के अनुपालन हेतु अभियुक्त द्वारा पच्चीस हजार रूपये का बन्ध पत्र एवं समान धनराशि की दो जमानतें एक सप्ताह के अन्दर दाखिल की जावें जो निर्धारित अवधि तक प्रभावित रहेगा।