क्राइम जर्नलिस्ट(सम्पादक-सेराज खान)
जिला मुख्यालय संवाददाता-एड0 राजेश पाठक
दोषी गौरव पटेल को 10 वर्ष की कठोर कैद
– 10 हजार रूपये अर्थदंड, न देने पर एक माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी
– जेल में बिताई अवधि सजा में समाहित की जाएगी
– अर्थदंड की धनराशि में से 8 हजार रूपये पीड़िता को मिलेगी
– साढ़े 5 वर्ष पूर्व दलित नाबालिग लड़की से शादी का झांसा देकर संबंध बनाने, गर्भ ठहरने पर दवा खिलाकर गर्भपात कराने का मामला
सोनभद्र। करीब साढ़े 5 वर्ष पूर्व दलित नाबालिग लड़की के साथ शादी का झांसा देकर संबंध बनाने, गर्भ ठहरने पर दवा खिलाकर गर्भपात कराने के मामले में अपर सत्र न्यायाधीश/ विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट अमित वीर सिंह की अदालत ने वृहस्पतिवार को सुनवाई करते हुए दोषसिद्ध पाकर दोषी गौरव पटेल को 10 वर्ष की कठोर कैद एवं 10 हजार रूपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड अदा न करने पर एक माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। जेल में बितायी अवधि सजा में समाहित की जाएगी। वहीं अर्थदंड की धनराशि में से 8 हजार रूपये पीड़िता को मिलेगी।
अभियोजन पक्ष के मुताबिक पन्नूगंज थाना क्षेत्र के एक गांव निवासी दलित पीड़िता ने पन्नूगंज थाने में 13 दिसंबर 2019 को दी तहरीर में आरोप लगाया था कि वह कक्षा 10 की छात्रा है। स्कूल जाते समय गौरव पटेल पुत्र श्रीनाथ पटेल निवासी बेलहिया , थाना पन्नूगंज, जिला सोनभद्र से संपर्क हो गया और शादी का झांसा देकर धीरे धीरे संबंध भी बनाने लगा। जब गर्भ ठहर गया तो दवा खिलाकर गर्भपात करा दिया। एक दिसंबर 2019 को दोपहर बाद 3 बजे चतरा बाजार सामान लेने गई थी तो गौरव पटेल वहां मिल गया और मंदिर में चलकर शादी करने का दबाव बनाने लगा। जिसपर उसके ऊपर विश्वास करके उसके साथ गई तो उसे सुनसान जगह ले गया और जाति सूचक शब्दों से गाली देते हुए चाकू दिखाकर धमकी दिया कि शादी नहीं करेंगे। दूसरे दिन 2 दिसंबर को छोड़ दिया और कहा कि अगर इस बारे में किसी से बताया तो समूचे परिवार के साथ जलाकर मार डालूंगा। इस तहरीर पर एफआईआर दर्ज कर पुलिस ने मामले की विवेचना शुरू कर दिया और पर्याप्त सबूत मिलने पर कोर्ट में चार्जशीट विवेचक ने दाखिल किया था।
मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्को को सुनने, गवाहों के बयान एवं पत्रावली का अवलोकन करने पर दोषसिद्ध पाकर दोषी गौरव पटेल को 10 वर्ष की कठोर कैद एवं 10 हजार रूपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर एक माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। वही अर्थदंड की धनराशि में से 8 हजार रूपये पीड़िता को मिलेगी। अभियोजन पक्ष की ओर ले सरकारी वकील दिनेश प्रसाद अग्रहरि, सत्यप्रकाश त्रिपाठी और नीरज कुमार सिंह ने बहस की।