क्राइम जर्नलिस्ट(सम्पादक-सेराज खान)

सी एस आर के धन का उपयोग जनपद में ही हो।

सोनभद्र का सी एस आर फंड जनपद में ही खर्च हो।

स्वास्थ्य,शिक्षा, पर्यावरण संरक्षण और गरीबी उन्मूलन पर ध्यान दे कंपनियां।

सामाजिक और नैगमिक दायित्व का पालन करे कंपनिया।

सी एस आर का फंड अन्य जनपदों में न जाए।

दुद्धी/सोनभद्र।(प्रमोद कुमार)कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसबिलिटी यानि सी. एस.आर. कंपनियों का एक सामाजिक दायित्व है जिन्हें पूरा करना इनकी जिम्मेदारी है। कंपनियों को अपने कार्य को पूरा करने के माध्यम से समाज पर इसके पड़ने वाले प्रभाव को कम करने और सकारात्मक योगदान देने के लिए प्रोत्साहित करना ,गरीबों को रोजगार देना, शिक्षा को बढ़ावा देना, स्वास्थ्य सुविधाओं को सुलभ बनाना,पर्यावरण संरक्षण करना के साथ साथ प्रभावित क्षेत्रों में विकास कार्य करना जिसमें स्वच्छ पेयजल, सड़क ,पुलिया ,मनोरंजन के साधन उपलब्ध कराया जाना इसके अन्तर्गत शामिल हैं।
हा,मै बात कर रहा हूं ,4 मार्च 1989 को स्थापित हुए सोनभद्र जनपद की जहां पर कई कल कारखाने है जिसमें हिंडाल्को एल्यूमीनियम फैक्ट्री, एन सी एल, एन टी पी सी , हाईटेक कार्बन प्लांट, अनपरा थर्मल पावर प्लांट, आदित्य बिड़ला केमिकल्स , ओबरा थर्मल पावर प्लांट, डाला सीमेंट फैक्ट्री सहित दो दर्जन से अधिक माइनिंग खदान,और अन्य छोटी बड़ी आउटसोर्सिंग कंपनिया हैं जिनके पास अपने लाभांश का 2 प्रतिशत हिस्सा यहां के लोगों के विकास कार्य पर खर्च करना ही होता है जिसमें रोजगार देना, गरीबी उन्मूलन करना, शिक्षा को बढ़ावा देना, सड़क ,पुलिया आदि का निर्माण करना, आवागमन के साधन उपलब्ध करवाना, पर्यावरण संरक्षण करना, स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाना, यह सब इनकी जिम्मेदारी है। सोनभद्र जनपद आकांक्षी जनपद है और देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने अपने पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी जी के द्वारा
इस जनपद को गोद लेने का काम इस उद्देश्य से करवाया है कि इस जनपद में विकास कार्य की आवश्यकता है ।पूरी जी अपने स्तर से जनपद में विकास कार्य करवा रहे हैं लेकिन सी एस आर फंड से जो कॉम होने चाहिए वह नहीं हो रहा है। जनपद में बेरोजगारी है ।गरीबी उन्मूलन के लिए सी एस आर फंड से क्या हो रहा है पता ही नहीं चलता है ।सड़क, पुलिया , शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं हेतु क्या कार्य हो रहे हैं इनका भी पता नहीं चल पाता क्योंकि और फंड दूसरे जनपदों में चल जाता हैं जो यहां के लिए दुर्भाग्यपूर्ण हैं। भाजपा नेता सुरेन्द्र अग्रहरि ने इस मुद्दे के ऊपर अपनी बात रखते हुए कहा कि सोनभद्र जिला आदिवासी बाहुल्य है , यहां के कल कारखानों ने यहां के लोगों का रोजगार छीन लिया है और यहां के आदिवासी के साथ साथ व्यापारी वर्ग भी परेशान इस लिए है क्योंकि आज से 25=30 वर्ष पहले यहां पर लाही बहुत अधिक मात्रा में पैदा होता था जो पलास के पेड़ो पर, बैर के पेड़ो पर अधिक मात्रा में पैदा होता था जिसको बेचकर यहां के आदिवासी अपने परिवार का पालन पोषण करता था और व्यापारी वर्ग भी मस्त था लेकिन कल कारखानों के खुलने से प्रदूषण के कारण उसके वायरस विलुप्त हो गए या मर गए जिससे वह लाह का पैदावार बिल्कुल समाप्त हो गया जिससे आज आदिवासी घरों के बच्चे बाहर अन्य प्रान्तों में काम करने के लिए जा रहे हैं जो यहां के लोगों के साथ छल है। कारखानों में स्थानीय लोगों को नहीं रखा जाता है और बाहरी लोगों को पैसे लेकर काम करने के लिए रख लिया जाता है ।यह भी यहां के लोगों के साथ अन्याय है।
सबकुछ होने के बावजूद यहां पर सीएसआर का धन कहा जाता है पता नहीं चल पाता है।उस धन का बंदरबाट होता है। निश्चित रूप से जब यह जिला जब आकांक्षी है तो इस जनपद को विकसित किया जाए ।सीएसआर के धन का उपयोग अधिक से अधिक हो क्योंकि उस धन पर सबसे पहले यहां के लोगों का अधिकार है। प्रदूषण झेले हम, बेरोजगारी झेले हम, लाइट से दूर हो हम, पानी से दूर हो हम और आनन्द ले दूसरा कोई ,यह नहीं चलेगा। सोनभद्र जनपद के सीएसआर के धन का उपयोग इसी जनपद में हो ।धन का बंदरबाट ना हो।इस पर कड़ाई से पालन हो। जिलाधिकारी महोदय और मुख्य विकास अधिकारी इस विषय को गंभीरता से ले और सीएसआर के धन का सदुपयोग उन जगहों पर करवाए जहां इसको आवश्यकता है ।इसकी निगरानी भी हो।
भाजपा नेता सुरेन्द्र अग्रहरि ने कहा कि यदि जनपद के सीएसआर फंड का उपयोग सही रूप में। नहीं हुआ तो इसकी शिकायत मुख्यमंत्री तक की जाएगी।।