क्राइम जर्नलिस्ट(सम्पादक-सेराज खान)

बिल्ली मारकुंडी खनन हादसे की न्यायिक जांच की मांग।

एआईपीएफ ने उठाई मुआवजा और दोषियों पर कार्रवाई की मांग।

दुद्धी/सोनभद्र।(प्रमोद कुमार)ओबरा क्षेत्र के बिल्ली मारकुंडी में बीते शनिवार अपराह्न करीब 3 बजे हुए भीषण खनन हादसे को लेकर ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट (एआईपीएफ) की जिला कमेटी ने गहरा शोक व्यक्त किया है और घटना की जांच उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की अध्यक्षता में गठित न्यायिक आयोग से कराने की मांग उत्तर प्रदेश सरकार से की है।
इस हादसे में खनन के दौरान पहाड़ का एक बड़ा हिस्सा अचानक ढह जाने से करीब डेढ़ दर्जन मजदूर मलबे में दब गए थे। शनिवार को एक मजदूर का शव बरामद हुआ था, जबकि 48 घंटे से चले एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के संयुक्त रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान प्राप्त जानकारी के अनुसार अब तक छह मजदूरों के शव निकाले जा चुके हैं। राहत-बचाव अभियान अभी भी जारी है।
जिला संयोजक कृपा शंकर पनिका ने जानकारी देते हुए बताया कि संगठन की हालिया बैठक में राजनीतिक प्रस्ताव पारित कर कहा गया कि वर्ष 2000 से भाजपा राज में शुरू हुआ अवैध खनन आज सिंडिकेट के हवाले है। खनन कारोबार के तार पूर्ववर्ती और वर्तमान सरकारों के मुख्यमंत्री कार्यालय तक जुड़े रहे हैं। लगातार माइन्स सेफ्टी एक्ट का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है और मानकों से अधिक गहरा खनन करके क्षेत्र में भयानक खाइयां बना दी गई हैं।
उन्होंने बताया कि कहीं भी एनजीटी के आदेश और पर्यावरणीय नियमों का पालन नहीं होता है। बार-बार जिला प्रशासन और श्रम विभाग से अनुरोध के बावजूद खनन मजदूरों का भवन एवं सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड में पंजीकरण नहीं किया गया है। मजदूरों की सामाजिक और जीवन सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं है। बताया कि खनन ब्लास्टिंग में नियमों का उल्लंघन कर अकुशल श्रमिकों को लगाया जाता है और पूरे सोनभद्र की नदी, पहाड़, जंगल एवं विकास के मदों की प्राकृतिक संपदा का गुजरात से आए सिंडिकेट द्वारा जबरदस्त दोहन किया जा रहा है।
संयोजक ने कहा कि आश्चर्य की बात है कि मुख्यमंत्री के कार्यक्रम स्थल से कुछ ही किलोमीटर दूर बिल्ली मारकुंडी में इतना बड़ा हादसा होने के बावजूद दो दिन बाद भी खदान में दबे सभी मजदूरों को बाहर नहीं निकाला जा सका है और अब तक प्रभावित परिवारों के लिए मुआवजे की घोषणा नहीं की गई है।
एआईपीएफ ने यह मांग की है कि हादसे में हताहत मजदूरों को पर्याप्त मुआवजा दिया जाए, खनन पूरी तरह से सरकारी नियंत्रण में चलाया जाए, एनजीटी और माइन्स सेफ्टी एक्ट का सख्ती से अनुपालन कराया जाए तथा दोषियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।