क्राइम जर्नलिस्ट(सम्पादक-सेराज खान)

दुद्धी-पहले पोखरा के नाम से अब शिवाजी तालाब के नाम से मशहूर

दुद्धी/सोनभद्र।स्थानीय नगर में दुद्धी तहसील मुख्यालय से दक्षिण की ओर धनौरा रोड पर बनें पोखरा के नाम से मशहूर हुआ करता था,वही दुद्धी नगर का पोखरा पर एकता अखण्डता की प्रतीक और गंगा जमुनी की तहजीब की तरह हिन्दू मुस्लिम एकता की प्रतीक माना जाता हैं।शादी विवाह हो या पूजा पाठ हो या अन्य त्यौहार या मुंडन का कार्यक्रम हो या इस्लाम धर्म के लोगों का मोहर्रम का त्यौहार हो पोखरा के पूरबी भिट्ठा पर मिट्टी खुदाई का रश्म रश्मों रिवाज के साथ मोहर्रम के पाँचवी व सातवीं तारीख के रात्रि के वक्त लगभग 12 बजें किया जाता हैं आज के परिवेश में भी इस्लाम धर्म के लोग मिट्टी खुदाई का रश्म करतें हैं,आज भी गूगल मैप पर हुसैनी तालाब के नाम से सो करता हैं इसी लिए हुसैनी तालाब भी कहा जाता हैं।

या तो हुन्दू धर्म का शादी विवाह का रश्म हो इस पोखरा पर बरसों से दोनों समुदायों का कार्यक्रम होता चला आ रहा हैं,इस बात को लेकर हिन्दू मुस्लिम एकता का प्रतिक दुद्धी के (तालाब)पोखरा माना जाता हैं।

पोखरा का नाम नवीनीकरण शिवाजी तालाब के नाम से मशहूर कैसे हुआ कब हुआ पढ़ें पूरी खबर-

दुद्धी पूर्व नगर पंचायत चेयरमैन सुनीता कमल कुमार कानू जब अध्यक्ष का चुनाव जीत कर जब नगर पंचायत का कार्यभार संभाला तो कुछ वर्षो के बाद जब कमल कुमार कानू ने देखा कि दुद्धी पोखरा की स्थिति बहुत ही खस्ताहाल हैं गन्दा पानी और चारों ओर भिट्ठा पर झाड़ियों से ढका हुआ झाड़ियां ही झाड़ियां दिखाई देता रहा हैं तो श्री कानू को देखकर मन में उस जगह के लिए एक सवाल उठा कि इस पोखरा को क्यों ना सुंदरीकरण कर अत्ति सुंदर बना दिया जाए।

दुद्धी के चर्चित अधिवक्ता रामलोचन तिवारी ने पूर्व में रहें दुद्धी नगर पंचायत अध्यक्ष सुनीता कमल कुमार कानू को मशवरा दिया कि मैं अपने पूर्वजों से सुना हूं और पढ़े लिखे विद्वानों के जुबानी सुना हूं कि एक म्यूजियम में रखें हुए इतिहास के पन्नो में लिखा हुआ हैं की एक बार जब हिंदुस्तान के बादशाह औरंगजेब और शिवाजी महाराज के बीच घमासान जंग छिड़ा तो लगभग पांच हजार सैनिकों के साथ शिवाजी महाराज बिहार राज्य की ओर दुद्धी होते हुए कूच कर रहें थे।शिवाजी महाराज ने दुद्धी में एक बनें हुए सरकारी कुआ देखकर उसी जगह शरण लिया और अपना टेंट तंबू लगवाना शुरू किया। चूंकि मुंसिफ कोर्ट के पास एक कुआ था एक कुआ से पानी पीने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी नही मिलने पाता था,तो शिवाजी महाराज ने बगल में एक पोखरा खोदाई का कार्य शुरू करवाया जब पोखरा खुदाई कराने में पानी आ गया तो उसी तालाब से शिवाजी महाराज का हाथी घोड़ा पानी पीने लगें।चूंकि दुद्धी उस जमानें में गांव था दूर दूर तक मकान नही था आदिवासियों का क्षेत्र माना जाता था।

सीनियर अधिवक्ता रामलोचन तिवारी ने कहा कि हमारे पूर्वज दूसरे जगहों से दुद्धी के लिए पुरोहित बनकर आये थे उस जमानें में हमारें पुर्वजों को 12 गांव मिला हुआ था धनौरा में मकान बनाकर निवास करनें लगें आवादी को बढ़ाने के लिए जगह जगह पर सभी जातियों के लोगों को बसाने का काम किया गया जो आज इस बात का परिणाम देखनें को मिल रहा हैं।

सीनियर अधिवक्ता रामलोचन तिवारी के बातों पर नगर पंचायत के पूर्व नवनिर्वाचित अध्यक्ष सुनीता कमल ने इस बात को गम्भीरतापूर्वक लिया और पोखरा पर सरकारी बजट से सुंदरीकरण का कार्य सुरू करवाया वर्षो काम चलनें के ततपश्चात तालाब बनकर जब अपने सबाब पर आ गया तो उस पोखरा का नाम करण कर शिवाजी तालाब नाम रखा गया और तालाब के पानी के बीचों बिच महाराज शिवाजी की प्रतिमा को लगाया गया।

तालाब का सुंदरीकरण के बाद दुद्धी नगर के एक एक लोग सहित बाहरी व्यक्ति भी दुद्धी शिवाजी तालाब का तारीफ़ करने लगें वही लोग शिवाजी तालाब पर घूमने व समय बिताने के लिए आने लगें।

इस बात को लेकर पूर्व चेयरमैन सुनीता कमल का एक एक व्यतियों के जुबान पर आज भी एक ही नाम गूँजता रहता हैं और ओ हैं सिर्फ और सिर्फ सुनीता कमल कानू का नाम,इस बात को मिटाया नही जा सकता।

आज के समय में दुद्धी शिवाजी तालाब दुद्धी नगर के लिए गंगा घाट बन गया हैं।त्यौहारों में छठ हो या देव दीपावली या मोहर्रम पर्व पर सभी समुदायों सहित हजारों हजार की तादात में श्रद्धालुओं का जनसैलाब देखनें को आज भी मिलता हैं।इसी लिए दुद्धी की धरती पर प्राचीन शिवाजी तालाब को ऐतिहासिक हिन्दू मुस्लिम एकता अखंडता की प्रतिक गंगा जमुनी की तहजीब कहा और माना जाता हैं।