Crime Journalist (सम्पादक – सेराज खान)

ब्यूरो चीफ सुल्तानपुर-आकृति अग्रहरि

स्क्रैप घोटाले में नाटकीय मोड़, बरामद हुआ लोहा!

पुलिस ने नहीं बल्कि शासनादेश के विपरीत बनी जांच कमेटी ने की बरामदगी, ठेकेदार का मुंशी बना बलि का बकरा!

सुल्तानपुर – शारदा सहायक खंड 16 में हुए स्क्रैप घोटाले को विभाग ने नाटकीय मोड़ दिया है। सात तोड़े गए पुलो में से गायब कुन्तलों लोहे की जगह सिर्फ 95 किलो लोहा बरामद कर अभियंता वाहवाही लूटने में लगे हैं। हालांकि पूरी जांच कमेटी ही पहले ही सवालों के घेरे में है।ऐसे में विभाग की यह बरामदगी भी कटघरे आ गई है।

विदित हो कि बीते वर्ष ड्रेन और नहरों पर बने 50 वर्ष से अधिक पुराने हो चुके पुलों को शासन ने तकनीकी जांच के बाद जर्जर घोषित कर दिया था। इनमें कूरेभार ड्रेन की 6 पुलिया और एक नहर का पुल भी शामिल है । कूरेभार ड्रेन के 5.170,16.180,22.330,23.850,24.160,और29.300 की.मि. ने पुल बनाए जाने है। बजट आने के बाद कार्य भी शुरू हो चुका हैं। ड्रेन पर 3.15 करोड़ की लागत से कुल 6 पुल बनाए जा रहे हैं। जबकिओ एक करोड़ 88 लाख की लागत से नहर पर भी एक पुल का जीर्णोद्धार चल रहा है। जयसिंहपुर विकासखंड क्षेत्र के पुरुषोत्तमपुर संपर्क मार्ग के अलावा पलिया, बरसोमा, राम बहादुर नदी धाम मार्ग पर ,कूरेभार ड्रेन पुल बनाए जा रहे है।कई स्थानों पर पोकलैंड मशीनों द्वारा युद्ध स्तर पर तोड़फोड़ का काम हो चुका है। कहीं-कहीं नए पुलों का निर्माण भी प्रारंभ हो चुका है। इन पुलों से निकले पुराने लोहे और मलबे के बेचने का मामला प्रकाश में आया तो अधिशासी अभियंता शरद कुमार ने जांच के लिए तीन सदस्य टीम बना दी । टीम बनाने भी में
भी शासनादेश का उल्लंघन किया गया। जांच टीम पखवाड़ा भर बीतने के बाद कार्य स्थल पर पहुंची। तब तक वहां से काफी सबूत मिटाए जा चुके थे। टीम ने आनन फानन में 95 किलो लोहे की बरामदगी भी करवा दी। बरामदगी भी किसी कबाड़ी की दुकान से नहीं बल्कि एक पुल पर कार्य कर रही बस्ती की फर्म विराट कंस्ट्रक्शन के मुंशी पूर्णमासी के पास से हुई। अधिशासी अभियंता शरद कुमार का कहना है कि ग्रामीण चोरी से ले जा रहे थे। इसलिए मुंशी लोहे की सुरक्षा के लिए दूसरे स्थान पर ले गया था। वह 95 किलो लोहे को पुनः इस साइट पर ले आया और सुरक्षित स्थान पर रखवा दिया गया है। अधिशासी अभियंता शरद कुमार का यह दावा शायद किसी को हजम ना हो क्योंकि पहले तो विभाग मुकदमा दर्ज करवाने का ढिंढोरा पीटता रहा और बाद में तीन सदस्यीय जांच कमेटी बनाई। जिसकी कमान सहायक अभियंता ध्रुव अग्रवाल को सौंपी गई। जिनके क्षेत्र में आधा दर्जन पुलियों का निर्माण चल रहा है। जो की बिल्कुल शासनादेश के विपरीत है। ऐसी जांच कमेटी की जांच पर उंगली उठना स्वाभाविक है। विभागीय जांच और लोहे की बरामदगी भी कटघरे में है। क्योंकि सात पुलों से निकले कुंतलो लोहे के स्थान पर सिर्फ 95 किलो लोहे की बरामदगी हुई है। अधिशासी अभियंता शरद कुमार के पास कितना कुंटल लोहा गायब हुआ इस प्रश्न का कोई जवाब नहीं है। कुल मिलाकर देखा जाए तो विभाग की ओर से एक बड़े घोटाले का यह नाटकिय पटाक्षेप करने की तैयारी है।