क्राइम जर्नलिस्ट(सम्पादक-सेराज खान)

किसानों-सरकार में फिर बातचीत आज, 6 व 26 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च की चेतावनी
नई दिल्ली/दिल्ली में इस वक्त कड़ाके की ठंड के बीच पिछले सवा महीने से कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी है। बारिश और ठंड के बीच दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसाननों की आज आज एक बार फिर से सरकार के साथ बैठक है। सरकार और किसानों के बीच आज सातवें दौर की बातचीत होगी और उम्मीद की जा रही है कि इस बैठक से कुछ सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे। आज यानी सोमवार की बैठक में सरकार के सामने किसानों की दो मांगें होंगी- कानून वापसी और एमएसपी। बता दें कि पिछली बातचीत में सरकार ने किसानों की दो बातें मान ली थी- बिजली संशोधन विधेयक 2020 और पराली जलाना जुर्म नहीं। तो चलिए जानते हैं किसान आंदोलन और सरकार के साथ बातचीत से पहले के सभी लेटेस्ट अपडेट्स…
6 और 26 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च
सरकार के साथ बातचीत से पहले किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के संयुक्त सचिव सुखविंदर एस सब्रा ने कहा कि हमारी मांगें पहले की तरह ही तीन कृषि कानूनों को रद्द करने और एमएसपी की गारंटी देने की हैं। अगर हमारी मांगें पूरी नहीं होती हैं, तो हम 6 जनवरी को और 26 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च करेंगे।
स्वामीनाथ रिपोर्ट लागू करे सरकार- राकेश टिकैत
भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि कई मुद्दों पर चर्चा होनी है। सरकार को समझना चाहिए कि किसानों ने इस आंदोलन को अपने दिल से लगा लिया है और कानूनों को निरस्त करने से कम पर वे कुछ नहीं मानेंगे। स्वामीनाथन की रिपोर्ट को लागू करना चाहिए और MSP पर कानून बनाना चाहिए।
बातचीत में कौन होंगे शामिल
केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और पीयूष गोयल सरकार का नेतृत्व करेंगे, जबकि किसान यूनियन के 40 नेता वार्ता में किसानों का प्रतिनिधित्व करेंगे। इससे पहले 30 दिसंबर को किसानों और केंद्र के बीच छठे दौर की वार्ता हुई थी जहां कुछ चीजों लेकर उनकी रजामंदी हुई थी।
सरकार को किसानों की चेतावनी
किसानों और सरकार के बीच में अब तक 6 दौर की बातचीत हो चुकी है। आज की बात हल निकालने की कड़ी में अहम साबित हो सकती है। किसानों की दो मुख्य मांगें- तीन नए कृषि कानूनों को खत्म करना और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को कानूनी बनाने की मांग जैसे की तैसी बनी हुई हैं। किसान इन मांगों पर डटे हुए हैं। किसान संगठनों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगे पूरी नहीं हुई तो वो 26 जनवरी को मनाने के लिए हजारों किसान अपने ट्रैक्ट्ररों के साथ परेड के लिए राजधानी में आगे बढ़ेंगे।